Tabah

मैं तबाह हूँ तेरे प्यार में और तुझे दूसरों का ख्याल है….
कुछ तो मेरे मसले पर गौर कर मेरी जिन्दगी का सवाल है…

Zindgi

हमारी ज़िन्दगी का इस तरह हर साल कटता है
कभी गाड़ी पलटती है, कभी तिरपाल कटता है ।
दिखाते हैं पड़ोसी मुल्क़ आँखें, तो दिखाने दो
कभी बच्चों के बोसे से भी माँ का गाल कटता है 

Ashiqi

अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दें 
इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ 

Nazar

ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है, 
क्यूँ देखें ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम|

Zindgi

तंग आ चुके हैं कशमकशे-जिन्दगी से हम
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बेदिली से हम

Zindgi

हो सके तो मुड़ के देख लेना, जाते जाते,
तेरे आने के भ्रम में,ज़िन्दगी गुज़ार लेंगे…

Zindgi

ज़िन्दगी! तू कोई दरिया है कि सागर है कोई,
मुझको मालूम तो हो कौन से पानी में हूँ मैं ।

Zindgi

ज़िन्दगी वो जो ख़्वाबों-ख़्यालों में है, वो तो शायद मयस्सर न होगी कभी,
ये जो लिक्खी हुई इन लकीरों में है, अब इसी ज़िन्दगानी के हो जाएँ क्या ।