Shakl

शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा
दिल में घर करके मेरी जान ये परदा कैसा

Jawani

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मोड़  होता हैं जवानी का संभलने  के लिए
और सब लोग यही आ के फिसलते क्यों हैं

Gharo pe naam the

घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला