Tajmahal

ये चमनज़ार ये जमुना का किनारा ये महल 
ये मुनक़्क़श दर-ओ-दीवार, ये महराब ये ताक़ 

इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर 
हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़

Muhabbat

टूटा तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत कुछ इस तरह
फिर आरज़ू की शमा फ़ुरेज़ाँ न कर सके

Nazar

ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है, 
क्यूँ देखें ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम|

Zindgi

तंग आ चुके हैं कशमकशे-जिन्दगी से हम
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बेदिली से हम

Ilzaam

ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा 
रंगीन तो है बदनाम सही
मुझ पर तो कई इल्ज़ाम लगे 
तुझ पर भी कोई इल्ज़ाम सही

Tasveer

पलकों पे लरजते अश्कों में तसवीर झलकती है तेरी. 
दीदार की प्यासी आँखों को, अब प्यास नहीं और प्यास भी है.

Wada

मायूस तो हूं वायदे से तेरे, कुछ आस नहीं कुछ आस भी है.
मैं अपने ख्यालों के सदके, तू पास नहीं और पास भी है.