Khuda

ज़िंदगी अपनी जब इस शल्क से गुज़री ‘ग़ालिब’
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे

Mirza Ghalib

Bardasht

“कर लेता हूँ बर्दाश्त तेरा हर दर्द इसी आस के साथ..
की खुदा नूर भी बरसाता है, आज़माइशों के बाद”.!!!

Insaaf

मुझे खुदा के इन्साफ पर उस दिन यकीन हो गया
जब मैंने अमीर और गरीब का एक जैसा कफ़न देखा

Jannat

बाद मरने के मिली जन्नत ख़ुदा का शुक्र है 
मुझको दफ़नाया रफ़ीक़ों ने गली में यार की 

Khuda

सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है

Jannat

बाद मरने के मिली जन्नत ख़ुदा का शुक्र है 
मुझको दफ़नाया रफ़ीक़ों ने गली में यार की 

Khuda

तेरा ज़िक्र..तेरी फ़िक्र..तेरा एहसास..तेरा ख्याल…
तू खुदा तो नहीं…. फिर हर जगह क्यों  है…!!