एक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है सब की दुनिया
कोई जल्दी में, कोई देर से जाने वाला
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Talabgaar
एक तू मिल जाती, इतना काफ़ी था,
सारी दुनियाँ के तलबगार नहीं थे हम..!!
Duniya
उसकी बेटी ने उठा रक्खी है दुनिया सर पर
ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ
Farmaana
मैं जो कहता हूँ कि मरता हूँ तो फ़रमाते हैं
कारे-दुनिया न रुकेगा तेरे मर जाने से
Khafa
अहले-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं
एक हम ही नहीं दुनिया से ख़फ़ा और भी हैं
Duniya
या तो इस दुनिया के मनवाने में कोई बात थी,
या हमारी नीयत-ए-इनकार थोड़ी कम रही ।
Duniya
सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैंने दुनिया छोड़ दी जिन के लिये