जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़म
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े
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Gham
ग़म रहा जब तक कि दम में दम रहा
दिल के जाने का निहायत ग़म रहा
Gham
चाहा था मुक्कमल हो मेरे गम की कहानी,
मैं लिख ना सका कुछ भी, तेरे नाम से आगे !!
Ummid
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया
Gham
कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन
Bewafai
अपनी तबाहियों का मुझे कोई गम नहीं
तुमने किसी के साथ मुहब्बत निभा तो दी