अब तो कर दे इजहार तू मुझसे प्यार का,
देख अब तो मोहब्बत का महीना भी आ गया
अब तो कर दे इजहार तू मुझसे प्यार का,
देख अब तो मोहब्बत का महीना भी आ गया
जब हम दिल को समझाने लगते है
कि वो हमे कभी नही मिल सकते..
ना जाने क्यों
तब मोहब्बत और ज्यादा होने लगती है..
अच्छा करते हैं वो लोग जो मोहब्बत का इज़हार नहीं करते,
ख़ामोशी से मर जाते हैं मगर किसी को बदनाम नहीं करते…
वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठा मेरे गम की वजह..
फिर हल्का सा मुस्कराया, और कहा, मोहब्बत की थी ना.
जिसकी मुहब्बत में मरने के लिए तैयार थे हम
आज उसी की बेवफाई ने हमे जीना सीखा दिया
दो शब्दो मे सिमटी है
मेरी मुहब्बत की दास्तान,
उसे टूट कर चाहा
और चाह कर टूट गये..!!
दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
मुहब्बत में मेरी बर्बादी का भी बड़ा अजीब अफसाना था….
दिल के टुकडे-टुकड़े हो गये और लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था
ये मोहब्बत है, सुन, ज़माने, सुन!
इतनी आसानियों से मरती नहीं
अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दें
इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ