लौट आओ वो हिस्सा लेकर, जो साथ ले गये थे तुम..
इस रिश्ते का अधूरापन अब अच्छा नही लगता….!!
लौट आओ वो हिस्सा लेकर, जो साथ ले गये थे तुम..
इस रिश्ते का अधूरापन अब अच्छा नही लगता….!!
आज तो मिलने चले आओ..
इतनी धुंध में भला कौन देखेगा
“कर लेता हूँ बर्दाश्त तेरा हर दर्द इसी आस के साथ..
की खुदा नूर भी बरसाता है, आज़माइशों के बाद”.!!!
शर्मिंदा हूँ उन फूलों से,
जो मेरे हाथों में ही सूख गये,
तेरा इंतज़ार करते करते
इंतजार तो किसी का भी नहीं है अब,
_____फिर न जाने क्यों________
पीछे पलट कर देखने की आदत गई नहीं।
ये मज़ा था दिल्लगी का कि बराबर आग लगती;
न तुम्हें क़रार होता न हमें क़रार होता;
तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते;
अगर अपनी जिन्दगी का हमें ऐतबार होता।
आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया
मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया
एक तू मिल जाती, इतना काफ़ी था,
सारी दुनियाँ के तलबगार नहीं थे हम..!!
ज़ब्त से काम लिया दिल ने तो क्या फ़ख़्र करूँ
इसमें क्या इश्क की इज़्ज़त थी कि रुसवा न हुआ
बाद मरने के मिली जन्नत ख़ुदा का शुक्र है
मुझको दफ़नाया रफ़ीक़ों ने गली में यार की