हथेलियों पर मेहँदी का ज़ोर ना डालिये,
दब के मर जाएँगी मेरे नाम कि लकीरें…
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Naam
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
Khat
इक ख़त कमीज़ में उसके नाम का क्या रखा,
क़रीब से गुज़रा हर शख्स पूछता है कौन सा इत्र है जनाब।।
Naam
ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल अक्सर
नाम सुनता हैं तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं
Ishq
इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम
तोहमतें बटती नहीं खैरात में॥
Lakeerein
उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी;
उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी!
Gham
चाहा था मुक्कमल हो मेरे गम की कहानी,
मैं लिख ना सका कुछ भी, तेरे नाम से आगे !!
Gharo pe naam the
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला