Mazak

हमें सताने की ज़रूरत क्या थी,
दिल मेरा जलाने की ज़रूरत क्या थी,
इश्क नही था मुझसे तो कह दिया होता,
मजाक मेरा यूँ बनाने की ज़रूरत क्या थी

Tajmahal

ये चमनज़ार ये जमुना का किनारा ये महल 
ये मुनक़्क़श दर-ओ-दीवार, ये महराब ये ताक़ 

इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर 
हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़