ना जाने इस ज़िद का नतिजा क्या होगा….
समझता दिल भी नहीं…,
मैं भी नहीं…,
और तुम भी नहीं
Tag: Dil
Muhabbat
जब हम दिल को समझाने लगते है
कि वो हमे कभी नही मिल सकते..
ना जाने क्यों
तब मोहब्बत और ज्यादा होने लगती है..
Yaad
रख लो दिल में संभाल कर थोड़ी सी याद मेरी….
रह जाओगे जब तन्हा, तो काम आएंगे हम…
Dil
तू मेरे दिल पे हाथ रख के तो देख,
मैं तेरे हाथ पे दिल ना रख दूँ तो कहना !!
Aadat
दिल जलाने की आदत उनकी आज भी नहीं गयी;
वो आज भी फूल बगल वाली कब्र पर रख जाते हैं।
Dil
तेरी गली में आकर के खो गये हैं दोंनो.!
मैं दिल को ढ़ूँढ़ता हुँ दिल तुमको ढ़ूँढ़ता है.!!
Nadaan
बड़ी नादान है इस निकम्मे दिल की हरकतें
जो मिल गया उसकी कदर ही नहीं,
और जो ना मिला उसे भूलता नहीं..
Roshan
अभी तक दिल में रोशन हैं तुम्हारी याद के जुगनू
अभी इस राख में चिन्गारियाँ आराम करती हैं
Jazbaat
आशिक़ी लिखें, दीवानगी लिखें, या
अपनी ख़ामोशी लिखें …
दिल के जज़्बात अब अल्फ़ाज़ नहीं बनते,
आखिर आज क्या लिखें…
Mazak
हमें सताने की ज़रूरत क्या थी,
दिल मेरा जलाने की ज़रूरत क्या थी,
इश्क नही था मुझसे तो कह दिया होता,
मजाक मेरा यूँ बनाने की ज़रूरत क्या थी