Kagaz

हम याद रहे तो ठीक वर्ना #भुला देना
हुई हो अगर खता हमसे तो #सजा देना।
वैसे तो हम #कोरे_कागज़ की तरह है.,
लिखा जाए तो ठीक वर्ना #जला ♨ देना।।

Roshan

अभी तक दिल में रोशन हैं तुम्हारी याद के जुगनू
अभी इस राख में चिन्गारियाँ आराम करती हैं

Udas

उदास कर देती है, हर रोज ये शाम मुझे ..!! यूँ लगता है, जैसे कोई भूल रहा हो, मुझे आहिस्ता आहिस्ता..!!

Zakhm

शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।