Shayeri शायरी कुछ भी हो रुसवा नहीं होने देती मैं सियासत में चला जाऊं तो नंगा हो जाऊँ Share this:TwitterFacebookLike Loading...
Zabt ज़ब्त से काम लिया दिल ने तो क्या फ़ख़्र करूँ इसमें क्या इश्क की इज़्ज़त थी कि रुसवा न हुआ Share this:TwitterFacebookLike Loading...