Tamanna fhir machal jaye

तमन्‍ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

मुझे गम है कि मैने जिन्‍दगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

ये दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्‍से, काम की बातें
बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

Javed akhtar

Har khushi me koi kami si hai

हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है 
हँसती आँखों में भी नमी-सी है

दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नब्ज़ भी थमी-सी है

किसको समझायें किसकी बात नहीं 
ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है 

ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई 
गर्द इन पलकों पे जमी-सी है 

कह गए हम ये किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी-सी है 

हसरतें राख हो गईं लेकिन 
आग अब भी कहीं दबी-सी है

Jawed akhtar