रात पूरी जाग कर गुजार दूँ तेरी खातिर
एक बार कह कर तो देख,
कि मुझे भी तेरे बगैर,
नींद नही आती !!!
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Khat
इक ख़त कमीज़ में उसके नाम का क्या रखा,
क़रीब से गुज़रा हर शख्स पूछता है कौन सा इत्र है जनाब।।
Gulzaar
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके,
कुछ ख़ार कम कर गए गुज़रे जिधर से हम|
Ishq
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं