अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम है
रुख हवाओ का जिधर का है उधर के हम है
Category: Badal/ Barsat/ Sawan/ Kudrat/ Hawa/ Pani/ Nature Shayri
Samandar
समंदर बनके क्या फायदा, बनना है तो तालाब बनो…
जहाँ शेर भी पानी पीता है, लेकिन सर झुका कर
Dhundh
आज तो मिलने चले आओ..
इतनी धुंध में भला कौन देखेगा
Mausam
मौसम बहुत सर्द है…,
…चल ऐ दिल…!
…कुछ ख्वाहिशों को…,
…आग लगाते हैं…!!
Boond
बारिश के बाद
तार पर टंगी आख़री बूंद से पूछना,
क्या होता है अकेलापन !!
Raat
आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है,
आज की रात न फुटपाथ पे नींद आएगी,
सब उठो, मैं भी उठूँ, तुम भी उठो, तुम भी उठो,
कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जाएगी ।
Garaj baras pyasi dharti par
गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाना, बच्चों को गुड़धानी दे मौला
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है
सोच समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला
फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नई सलीबें
झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला
फिर मूरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा
फिर मंदिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला
तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हो
जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला
Nida fazli
Diya
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
Chiraag
बुझने से जिस चिराग ने इंकार कर दिया ,
चक्कर लगा रही हैं हवा उसी के आस पास…!!!
Saya
सूरज ढला तो
कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी,
यहीं परछाइयां हमने..