किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं..
मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगी हो तुम..
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Nazar
ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था..
हमे तो सिर्फ नजरे मिलाने का शौक था…..
पर हम नजरे ही उनसे मिला बैठे …..
जिनको नजरो से पिलाने का शौक था…..
Chehra
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे
Khuda
सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है
Asool
उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है
Nazar
तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते
इसीलिए तो तुम्हें हम नज़र नहीं आते
Nazar
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है,
क्यूँ देखें ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम|
Nazar
शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं,
इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं…
Nazar
न जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की,
अब कोई वजह नही मिलती मुस्कुराने की
Nazar se dur
नज़र से दूर ना हो दिल से उतर जायेगा
वक़्त का क्या है गुजरता है गुज़र जायेगा
#अहमद_फ़राज़ #Ahmed_Faraz