Nazar

ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था..
हमे तो सिर्फ नजरे मिलाने का शौक था…..
पर हम नजरे ही उनसे मिला बैठे …..
जिनको नजरो से पिलाने का शौक था…..

Duniya

उसकी बेटी ने उठा रक्खी है दुनिया सर पर
ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ

Manzil

पाँव उठ सकते नहीं मंज़िले -जानाँ के ख़िलाफ़
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं

Peena

हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है

Jeene ki tamanna

पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
डगमगाना भी ज़रूरी है संभलने के लिए।