Intzaar आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया Share this:TwitterFacebookLike Loading...
Diya आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया Share this:TwitterFacebookLike Loading...