थकी-मांदी हुई बेचारियाँ आराम करती हैं
न छेड़ो ज़ख़्म को बीमारियाँ आराम करती हैं
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Zakhm
मेरें जख्मों पर उसने भी मरहम लगाया, ये कहकर…
कि जल्दी से ठीक हो जाओ, अभी तो और भी जख्म देने बाकि है….
Zakhm
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
Zakhm
भला आज महिफल शांत कैसे है दोस्तों,
जख्म भर गये या मुहब्बत फिर से मिल गयी..